कुछ दिन पहले अपनी सहेली के
साथ एक समारोह में जाने का मौका मिला। वहां बहुत सारे लोग आए हुए थे, जिनमें
महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। महिलाएं तरह-तरह के लिबास में थी।
कुछ स्वेटर शॉल अपने हाथ पर
टांगे घूम रही थीं...कुछ दूसरों से पूछ रही थीं कि बताओ-जैकेट के उपर से क्या उनका
हार दिख रहा है?
जवाब में “नहीं” सुनने पर वे वहीं अपना
जैकेट उतारकर साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए जनता-जनार्दन के दर्शन के लिए अपना हार
को साड़ी के उपर लटका रही थीं।
यह सब दिखना-दिखाना चल ही
रहा था कि सबके बीच एक अप्सरा उतरी। गहरे सांवले रंग की महिला। होठों पर लिपस्टिक
की मोटी परत जो मोम की भांति जमी हुई दिख रही थी, शायद महिला को इस बात का इल्म था
और बिना शीशे के उसे ठीक करने की कोशिश में लिपस्टिक इधर-उधर फैल गई थी.. जो खराब
लगने के साथ बहुत भद्दी नजर आ रही थी।
महिला ‘डीप नेक’ की ब्लाउज के साथ हरी
चमचमाती साड़ी में थी। ‘डीप नेक’ होने के कारण उसके पीठ पर सर्दी की मार पड़ी थी जिससे रोएं
उग आए थे। महिला सिर्फ एक पतली साड़ी में थी।
मेरी सहेली ने कहा- यह परम
सत्य है!!!
मैने कहा- क्या?
उसने कहा- यही कि महिला को
ठण्ड लग रही है!
मैने कहा- इतनी ठण्ड में
गर्मी तो लगेगी नहीं!
उसने कहा- कम से कम लोगों
को इतना पता होना चाहिए कि उन पर क्या अच्छा लगता है...क्या नहीं। और अगर ना फ़बते हुए भी कोई
पहनने की जुर्रत करे तो उसे सलीके से पहनना चाहिए।
महिला के पीठ पर ब्लाउज की
पट्टी देखो..जूते का रिबन भी शरमा जाए...इतनी पतली कि गलती से किसी की अंगुली फंस
जाए तो तार-तार हो जाए..
तभी महिला अपनी सहेली से
पूछी-बता ना..कैसी लग रही हूं?
महिला की सहेली ने कहा-
झक्कास, सुंदर...गजब की लग रही हो.
मेरी सहेली ने मुझसे पूछा-
मैं भी जाकर कुछ कहूं??
मैने कहा- क्या?
उसने कहा- यही कि………..मोहतरमा
आप खुद ही अपनी अदाओं पर
ज़रा ग़ौर फ़रमाइए
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी