कुछ लोग साधारण होते हुए भी दुनिया के लिए अजूबा होते हैं। कोई अपने दांत से तार खींच देता है तो कोई कई फीट ऊंचे टॉवर पर चढ़ जाता है। ये लोग जहां ऐसे कारनामे करते हैं वहां इन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है।
लेकिन हमने ऐसे छोटे या बड़े कारनामें अपनी आंखों से सिर्फ टीवी में ही देखा था। तस्वीर में जो शख्स आपको दिख रहे हैं ये आम आदमी की तरह साधारण होते हुए भी असाधारण हैं। बचपन में लोग दादी-नानी से कहानियां सीखते हैं, जनाब ने बचपन में अपनी दादी से पान खाना सीखा। कभी-कभार पान दांत में फंस जाता था, ये सींक से दांत साफ करते, सींक जल्दी टूट जाती। इससे ऊबकर इन्होनेंं एक लोहे की पेपर पिन मुंह रखनी शुरू की। जरूरत पड़ने पर उसी से दांत में फंसा पान निकाल लेते। कभी-कभी एक-दो पिन मुंह से बाहर निकालना ही भूल जाते। और आज....ये पूरे सतना शहर में अपने मुंह में एक नहीं बल्कि पूरे दस दजर्न पेपर पिन रखने के लिए जाने जाते हैं। महाशय पेशे से मैकेनिक हैं..बताते हैं कि पिछले 33 सालों से मुंह में दस दर्जन से अधिक पेपर पिन रख रहा हूं। यहां तक कि अपनी शादी वाले दिन भी मुंह में इतने ही पिन दबाकर ससुराल पहुंचा था। पहले घर वालों को आपत्ति थी लेकिन अब किसी को याद भी नहीं रहता इस बात का। पेपर पिन चौबीस घंटे इनके मुंह के अंदर ही रहता है। उठते-बैठते, खाते-पीते यहां तक कि ब्रश करते हुए भी। है ना...अजूबे वाली बात।।।
लेकिन हमने ऐसे छोटे या बड़े कारनामें अपनी आंखों से सिर्फ टीवी में ही देखा था। तस्वीर में जो शख्स आपको दिख रहे हैं ये आम आदमी की तरह साधारण होते हुए भी असाधारण हैं। बचपन में लोग दादी-नानी से कहानियां सीखते हैं, जनाब ने बचपन में अपनी दादी से पान खाना सीखा। कभी-कभार पान दांत में फंस जाता था, ये सींक से दांत साफ करते, सींक जल्दी टूट जाती। इससे ऊबकर इन्होनेंं एक लोहे की पेपर पिन मुंह रखनी शुरू की। जरूरत पड़ने पर उसी से दांत में फंसा पान निकाल लेते। कभी-कभी एक-दो पिन मुंह से बाहर निकालना ही भूल जाते। और आज....ये पूरे सतना शहर में अपने मुंह में एक नहीं बल्कि पूरे दस दजर्न पेपर पिन रखने के लिए जाने जाते हैं। महाशय पेशे से मैकेनिक हैं..बताते हैं कि पिछले 33 सालों से मुंह में दस दर्जन से अधिक पेपर पिन रख रहा हूं। यहां तक कि अपनी शादी वाले दिन भी मुंह में इतने ही पिन दबाकर ससुराल पहुंचा था। पहले घर वालों को आपत्ति थी लेकिन अब किसी को याद भी नहीं रहता इस बात का। पेपर पिन चौबीस घंटे इनके मुंह के अंदर ही रहता है। उठते-बैठते, खाते-पीते यहां तक कि ब्रश करते हुए भी। है ना...अजूबे वाली बात।।।