हमारे गांव में पिछले कई सालों से दीवाली के दूसरे दिन राम कथा का आयोजन किया जाता है। जिसे पूरे गांव वाले चन्दा इकट्ठा करके किसी अच्छे कथाकार को बुलाते हैं।इस बार एक जौनपुर के कथाकार को बुलाया गया था।रात के साढ़े सात बजे महाराज जी मंच पर अपने कुछ साथियों को लेकर आये, और उनका परिचय देने लगे।
भक्तजनों ....ये जो ढोलक पर संगत कर रहै हैं...ये अलाने हैं..और बरेली से आये हैं...ये ऑर्गन पर जो संगत कर रहे हैं ...ये फलाने हैं..इतनी अवस्था में भी बड़ा झक्कास व्यवस्था दिये पड़े हैं...मुरली पर संगत करने वाले भाई ढेकाने हैं...ये आपके भोले बाबा की नगरी से आये हैं...................
कथा की शुरुआत एक भजन से हुई......
(बांसुरी बजाने वाले को ना बजाने का इशारा करते हुए)
बजा दे बांसुरी
एक बार मुरली
वाले
तुमही हो सबके
सरकार मुरलिया वाले
भगत प्रह्लाद की जान
बचाने वाले
दुखी द्रौपदी की चीर
बढाने वाले
बजा दे बांसुरी
एक बार मुरली
वाले
श्री राम कथा राम केवट संवाद से शुरु हुई...
महाराज जी गांव वालों को राम कथा कुछ यूं सुना रहै थे......
भगवान राम अपने भाई और बीबी के साथ नदी के तट पर पहुंचते हैं...केवट उनको देखते ही पहचान जाता है कि सवारी त बड़ा जानदार लागत बा....
कुछ देर बाद केवट के ई बुझाइल की लागत बा ई भगवान राम बाटें.....
तो केवट कहता है प्रभु से..
करा राम जी
तू चाहे केतनों
उपइया
बिना पग धोये
चढ़े न देब
नइया
केवट विनती करत बा कि हम तोहार गोड़ धोअले के बाद अपने नइया पर बैठाइब....
भक्त जनों आप को पता है .....केवट जिस पात्र में भगवान का गोड़ खंगालने को बोल रिहा था ....उसको कठवत कहते हैं.....कठवत एक ऐसा पात्र है जो लकड़ी का बना होता है.....जिसमे आटा साना जाता है...रोटी रखा जाता है...और कठवत देखने में एकदम्में गोल लऊकता है...
(महाराज जी गांव वालों को विस्तार से कठवत के बारे में समझा रहै थे, मानों कठवत शहर वाले ही बनाके गांव वालों को निर्यात करते हों)...
इसी बीच दान दाताओं की सूची भी आ गयी.....
महाराज जी पढ़ना शुरु किये...भक्तजनों....बहुत प्यारी प्यारी माताओं और बहनों भाईयों का दान आया है....
फलाने सिंह फलाने गांव से साढे दस रुपिया दिये हैं......मुन्नी की माई का भी दान आया है......जो कि इधरे कौनौ पंक्ति में दुलही बन के बैठल हैं.....
पंडाल में बैठी कुछ महिलाओं के बच्चे सोये पड़े थे....महाराज जी आश्वासन दे रहे थे कि बस थोड़के देर में परसादी बंटेगा....और महिलायें अपने बच्चों को जगाने लगी.............
पोस्ट ज्यादा बड़ा हो रिहा है....अब ना लिखूंगी ..नहीं तो आपहु लोग कहोगे...कितना भक्तिमय पोस्ट ठेल दी है
3 टिप्पणियां:
आपकी लेखन शैली ही आपको पहचान दिलाएगी, आपकी लेखन भाषा साहित्यिक है, अप प्रयास जरी रखे और समसायिक विषयों पर अपनी लेखनी को लगातार गति देती रहे.
गजब कथा सुनाती हैं जी आप भी!
shukriya sir ji
एक टिप्पणी भेजें