अपनी तो भाषा ऐसी ही है दीदी …तू जब हम लोग के साथ रहेगी तो तू भी हमारी तरह ही बोलेगी
….जब मैंनें उन तीन छोटी लड़कियों से पूछा कि तुम लोग जो बोलती हो क्या तुम्हारे मां-बाप
का सीखाया होता है…तब उसनें ऐसा जवाब दिया….चेहरे पर चंचलता उधम-कूद मचाते हुए हर आनें
जाने वाले से बस एक ही शब्द बोलती….
उन तीनों
की उम्र छ-सात साल के आसपास थी उसमें
से एक लड़की नें सात महिनें के बच्चे को गोंद
में फंसायी थी…और भीख मांग रही थी…मैंने उनसे ऐसा सवाल तब किया जब मैंने देखा कि उसके
गोद में लटका एक साल का बच्चा भी ठीक वैसे ही हाथ फैला रहा है और कह रहा है एक दे दे
दे दे…एक साल का वह बच्चा ना जानें मम्मी-पापा कहना जानता था या नहीं लेकिन भीख मांगनें
की तरकीब पता थी उसे……इन बच्चों के शरीर से अजीब तरह की महक आ रही थी…मैंने पूछा आज
तो तुम लोग मेले में आकर भीख मांग रही हो…नहा –धो के आयी हो…उनमें से दुसरी लड़की टप्प
से बोली कैसा मेला दीदी…हम तो खुश हो जाते हैं जब हमें भीड़ देखती है यह सोचकर कि आज
ज्यादा पैसा मिलेगा…और हमको सनिमा थोड़े ही जाना है कि रोज नहाए…एक सहेली नें मजाक
में कहा कि यार मुझे भी एक रुपया दे दो मैं भी तो भीख ही मांग रही हूं…उनमें से एक
नें मेरी सहेली के हाथ पर एक रुपए रख कर कहा काहैं मजाक करती है दीदी..तू तो अमीर है…देख
गरीब तो हम हैं… इतना कह कर ना जाने क्यों खिलखिला कर हंसी..उसकी हंसी उस वक्त ऐसी
लगी जैसे उसने खड़े-खड़े हमारी बातों पर हमें तमाचा जड़ दिया हो…. इतनी छोटी सी लड़की
के मुंह से ऐसी बातें सुनकर बार बार मेरे दिमाग में आ रहा था किसनें सिखाया इनको ऐसा बोलना कहना…लेकिन जवाब तो मुझे
पहले ही मिल गया था..हमरी भाषा ही ऐसी है दीदी..तू भी ऐसा ही बोलेगी जब हमारे साथ रहेगी….तीनों
नें भीख में मिले पैसे जोड़े और मुझसे बोली
ले दीदी ये दस रुपये और हम लोगों की एक फोटो खींच ले… कल इसी जगह पर ला कर दे देना…मैं
क्या खीचती उनकी फोटो..उनकी बात उनकी फोटो तो खुद मेरे जेहन में जम गयी थी..
2 टिप्पणियां:
बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
संवेदनशील पोस्ट!
एक टिप्पणी भेजें