सुनो..मैने एक फीमेल टीचर का जुगाड़ कर दिया है। कल से वो
तुम्हें तुम्हारे घर पर इंग्लिश और मैथ्स पढ़ाने जाएंगी।
-यार उन्हें घर पर मत भेजो।
क्यों...क्या दिक्कत है?
-मेरा मकानमालिक उन्हें यहां आने नहीं देगा।
मकान मालिक को बोल देना फीमेल टीचर है..शिक्षक नहीं
शिक्षिका है।
-मकानमालिक अपने गेस्टरुम में किराएदारों के जान-पहचान
वालों को बैठने नहीं देता..घर में और कोई जगह नहीं है जहां बैठकर पढ़ा जा सके।
ज्यादा बहानेबाजी मत कर..पढ़ने वाले ना सड़क पर भी खड़े
होकर पढ़ लेते हैं। तू एक काम कर उन्हें अपने कमरे में ही बिठा कर पढ़ लेना।
-यार एक ही तो छोटा सा कमरा है..जिसमें सोना, खाना बनाना सब
करना पड़ता है। सामान भी बिखरा रहता है। इतनी मॉड टीचर ऐसे कमरे में बैठ कर कैसे
पढ़ा पाएगी?
हां हां...पता है...तेरे कपड़े, लैपटाप, चार्जर, किताबें सब
बेड पर फेंके होते हैं...एक जोड़ी जूते इधर तो दो जोड़ी सैंडिल उधर फेंके होते
हैं। चार दिन के जूठे बर्तन पड़े होते हैं। प्याज के छिलके कमरे में उड़ रहे होते
हैं?
-तुमने कब देखा..मैं कैसे रहती हूं?
देखा नहीं फिर भी कह सकता हूं...तू ऐसे ही रहती है। सब
समेटना सीख। और सुन लड़कों की तरह नहीं लड़कियों की तरह रहा कर।
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