रविवार, 3 मई 2015

गाय का बच्चा और प्रतिस्पर्धा..

कल भरी दोपहरी में प्याज खरीदने के लिए मैं घर के पीछे वाली दूकान पर जा रही थी। रास्ते में एक गाय का बछड़ा अपनी मां के साथ कहीं जा रहा था। वे दोनों बहुत ही धीरे-धीरे चल रहे थे...उस दौरान मैं दोनों के पीछे थी। लेकिन थोड़ी ही देर बाद मैं दोनों से आगे निकल गई। यह देख गाय का बछड़ा अपनी मां को छोड़कर तेजी से कदम बढ़ाते हुए मुझसे आगे निकल गया। अगर वह इंसानी भाषा बोल रहा होता तो  हंसते हुए मुझसे जरूर कहता...देखा कैसे मैं तुमसे आगे निकल गया...
लेकिन मुझे पता है वह अपनी मां से जरूर बोला होगा...इतनी कड़ी धूप में जरा जल्दी-जल्दी पांंव बढ़ाया करो। पीछे चलने वाले भी हम लोगों से आगे निकल जाते हैं।


बहरहाल, मुझे उस वक्त बड़ा मजा आता..जब गाय का बछड़ा तुनकते हुए मुझसे आगे निकल रहा था..बछड़े के मन में शायद यही भाव रहा होगा कि अगर वह आगे निकला और जीत गया तो  इनाम के रूप में एक पेंसिल और रूलदार कॉपी का हकदार जरूर होगा। आखिर उसकी उम्र भी तो थी बच्चों वाली ही।

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