अपने जीवन की पहली नौकरी पहली बार छोड़कर घर बैठी हूं। लोगों को कहते सुना और
देखा है कि लोग अपनी किसी भी नौकरी को छोड़ने से पहले अपनी रोजी-रोटी चलाने का कोई
न कोई बंदोबस्त कर लेते हैं लेकिन मैंने ऐसा कुछ सोचे बिना ही नौकरी को लात मार
दिया।
आज सुबह जब मैं सो कर उठी तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं रिटायर्ड हो गई
हूं। मुझे पैसे की फिक्र नहीं करनी चाहिए। सैलरी नहीं तो पेंशन जरूर मिलेगा। लेकिन
यह सिर्फ मन का वहम था।
बिस्तर छोड़ने के बाद मैं ब्रश करने की सोच रही थी कि देखा टूथपेस्ट खत्म हो
गया था। मकान मालिक से टूथपेस्त मांगी और ब्रश किया मैंने। सुबह समय पर नाश्ता किया
और अखबार पढ़ने बैठ गई। थोड़ी देर बाद पीछे से मकान मालकिन की आवाज आई अरे तुम
इतनी फुर्सत से अखबार चाट रही हो मानो रिटायर्ड होकर घर बैठी हो। मैंने कहा..मेरी
वाली फीलिंग आपको कैसे आई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
एक बार अपने एक दोस्त के साथ लाइब्रेरी में बैठी थी तभी उसने अपने किसी मित्र
से मेरा परिचय कराते हुए कहा कि इनसे मिलो ये शैलेश हैं और अपनी नौकरी छोड़कर आजकल
पागलों की तरह यहां-वहां फिरते हैं। उस वक्त मुझे क्या पता था कि नौकरी करने का
सुख और उसे छोड़ने का दुख क्या होता है।
लेकिन आज एक खालीपन सा लग रहा है मानो पूरी दुनिया के लिए मेरे पास वक्त हो और
दुनिया है कि अपने में ही मस्त है। शाम को ऑफिस से एक सीनियर का फोन आया तो उन्होंने
कहा कि इंसान जब किसी भी चीज से अलग होता है ना तो एक खालीपन जरूर लगता है। चाहे
वह अपना कुत्ता हो अपनी बाइक हो रूम मेट हो या फिर ऑफिस।
डेढ़ साल पहले तक मुझे चाय पीने की आदत नहीं थी लेकिन नौकरी में आने के बाद शाम
को चाय पीने की लत लग गई। शाम होते ही आज यही लत परेशान करने लगी। चाय बनाने की
तैयारी कर रही थी। लेकिन चीनी का डिब्बा खाली पड़ा मिला। अब एक अलग तरह की फीलिंग
हो रही थी...बेरोजगारी वाली फीलिंग। सुबह टूथपेस्ट मकान मालिक से मांगी..शाम को
चाय बनाने के लिए चीनी मांगी और अब बिना मांगे ही रात का खाना भी मिल गया। सच में ..मैं
बेरोजगार हो गई हूं।
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