नवरात्रि व्रत थी, पूजा-पाठ करने के बाद प्रसाद देने आयी वह । प्रसाद देते हुए
बोली-लगता है अभी नहायी नहीं हो तुम?
- मैंने कहा-नहीं
वह बोली- मतलब व्रत भी नहीं हो तुम?
- नहीं
कुछ तो शर्म करो...लड़की होकर भी व्रत नहीं हो तुम। सारी लड़कियां व्रत हैं।
प्रसाद बना रही हैं, पूजा कर रही हैं, हॉस्टल में एक तुम्हीं हो जो व्रत नहीं हो।
- सारी लड़कियां व्रत
रहें ये जरूरी है क्या? और कोई भी लड़की व्रत ना रहे तो इसकी वजह से कोई उनपर कोई फर्क पड़ेगा क्या।
मतलब कोई बीमारी हो जाएगी, एक्सीडेंट हो जाएगा, परीक्षा में फेल हो जाएंगी?
अपने-अपने संस्कार हैं भई... जैसे घर से आय़ी होगी वैसा ही न करोगी। वह तुनक कर
बोली और चली गई।
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