दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ गैंग रेप किया गया…इतने
से जी नहीं भरा तो उसे बेरहमी से पीटा गया और बस से नीचे फेंक दिया गया…. इस कुकृत्य में शामिल दरिंदे कोई
और नहीं बल्कि स्कूल के कुछ कर्मचारी थे …मन में आ रहा हैं चिल्लाऊं…..इस बात को हजार
ढ़ंग से कहूं… सवाल करूं…..लेकिन एक ढंग से भी दिल का दर्द बयां नहीं हो पा रहा है…जिगर
में आग लगी है,.. त्राहि-त्राहि मची है
गुवाहाटी में बीच सड़क पर सरेआम लड़की के कपड़े उतारे गए…बलात्कार
किया गया और उसे पीटा भी गया…. … छोटी बच्चियों को भी नही बख्सा जा रहा है…उनको स्कूल
छोड़ने वाला ड्राइवर इनके साथ दुष्कर्म कर रहा है ..कालेज जाने वाली लड़कियों के साथ
उन्हीं के दोस्त साथी रेप करके उनका एमएमएस
बना कर दोस्तों में बांट रहे हैं….क्या महसूस करता है वह पुरुष जो बलात्कार की शिकार
हुई लड़की का बाप है…भाई है…और क्या सोचता है उस दरिंदे पुरुष के बारे में जो लड़की
को कहीं का नहीं छोड़ता …..क्या सोचता है एक पुरुष पत्रकार जो इस घटना को कलम करता
है और क्या खलबली मचती है उस पुरूष पाठक में जो इस घटना को पढ़ता है…. कोई बताए….
औरत को मर्द की मां बहन बेटी के रूप मे विराजकर अपने लिए
सुविधा क्यों वसूल करनी पड़ रही है। मां की कोख से पैदा होकर भाभी दीदी बुआ के बीच
पलकर भी औरत का मान इमान मर्द की समझ से कोसों दूर रह गया है…सुना है मर्द औरत को जानने
समझने के लिए किताबे पढ़ते हैं
कहीं किताबें तो बलात्कार करने के लिए उत्तेजित नहीं कर रही
???…….
.क्या हम वही हैं जो कहते हैं “बेटी बचाओ” और बुलंद आवाज
में नारा लगाते हुए लोगों मे जागरुकता फैलाते हैं…..या फिर हम वो हैं जो कन्या भ्रूण
हत्या में अपनी भागीदारी देते हैं केवल इस डर से कि अगर लड़की पैदा हुई तो कल को जवान
होगी, बाहर निकलेगी दुनिया देखेगी..और इसी दुनिया के मर्द उसे अपने हवस का शिकार बनायेंगे…..
घर
में अपने मां बहन जैसी औरत के दर्द से बेखबर मर्द जब घर से बाहर सड़क पर चलता है तो
क्या हर लड़की उसे अपनी बीबी या रखैल नजर आती है….हम बस, गाड़ी मे यात्रा करते हुए
भी परूषों के छुअन से बच नहीं पाते हैं…
पिछले महिने हरियाणा मे बलात्कार पर बलात्कार हो रहा था…अखबारों
में घटनायें छप रहीं थी …बेटी का बाप शर्म के मारे आत्महत्या कर ले रहा था…..हरियाणा
के मुख्यमंत्री लोगों को सुझाव बांट रहे थे कि बलात्कार से बचाने के लिए कम उम्र मे
ही वहां के लड़कियों की शादी कर दी जाय….
हरियाणा राज्य को चलाने वाले मुख्यमंत्री के
पास एक पुरुष होने के नाते क्या बस यही एक
सुझाव बचा था जनता में मुफ्त में बांटने के लिए…लड़की के ब्याह कर किसी एक पुरुष की
निजी संपत्ति घोषित कर देने से क्या समाज मे मुंह बाये घूमने वाले दरिंदे औरत को बाहर निकलने पर मां-बहन के निगाह
से देखने का लाइसेंस प्रदान कर देगें…..
औरत के जीवन के सारे फैसले सुनाने वाला पुरुष
प्रधान देश ही बताए क्या छोटी उमर में शादी करनें से यह कुकृत्य रुक जाएगा…तो लाखों
वेदनाओं को अपने सीने में दबा लेने वाली औरत यह कुर्बानी देने को भी तैयार है... औरत
के दिल में मर्दों की प्रताड़ना के सारे कंकड़
पत्थर जमा हैं जो दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं…औरत
के सीने में ये हिल-डुल रहे हैं जो एक दिन हाहाकार के सुर जरुर छेडेंगे…..