सोमवार, 17 दिसंबर 2012

भाईयों के राज में बहनों की इज्जत


दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ गैंग रेप किया गया…इतने से जी नहीं भरा तो उसे बेरहमी से पीटा गया और बस से नीचे फेंक दिया गया…. इस कुकृत्य में शामिल दरिंदे कोई और नहीं बल्कि स्कूल के कुछ कर्मचारी थे …मन में आ रहा हैं चिल्लाऊं…..इस बात को हजार ढ़ंग से कहूं… सवाल करूं…..लेकिन एक ढंग से भी दिल का दर्द बयां नहीं हो पा रहा है…जिगर में आग लगी है,.. त्राहि-त्राहि मची है


गुवाहाटी में बीच सड़क पर सरेआम लड़की के कपड़े उतारे गए…बलात्कार किया गया और उसे पीटा भी गया…. … छोटी बच्चियों को भी नही बख्सा जा रहा है…उनको स्कूल छोड़ने वाला ड्राइवर इनके साथ दुष्कर्म कर रहा है ..कालेज जाने वाली लड़कियों के साथ उन्हीं के दोस्त साथी  रेप करके उनका एमएमएस बना कर दोस्तों में बांट रहे हैं….क्या महसूस करता है वह पुरुष जो बलात्कार की शिकार हुई लड़की का बाप है…भाई है…और क्या सोचता है उस दरिंदे पुरुष के बारे में जो लड़की को कहीं का नहीं छोड़ता …..क्या सोचता है एक पुरुष पत्रकार जो इस घटना को कलम करता है और क्या खलबली मचती है उस पुरूष पाठक में जो इस घटना को पढ़ता है…. कोई बताए….


औरत को मर्द की मां बहन बेटी के रूप मे विराजकर अपने लिए सुविधा क्यों वसूल करनी पड़ रही है। मां की कोख से पैदा होकर भाभी दीदी बुआ के बीच पलकर भी औरत का मान इमान मर्द की समझ से कोसों दूर रह गया है…सुना है मर्द औरत को जानने समझने के लिए किताबे पढ़ते हैं
कहीं किताबें तो बलात्कार करने के लिए उत्तेजित नहीं कर रही ???…….

.क्या हम वही हैं जो कहते हैं “बेटी बचाओ” और बुलंद आवाज में नारा लगाते हुए लोगों मे जागरुकता फैलाते हैं…..या फिर हम वो हैं जो कन्या भ्रूण हत्या में अपनी भागीदारी देते हैं केवल इस डर से कि अगर लड़की पैदा हुई तो कल को जवान होगी, बाहर निकलेगी दुनिया देखेगी..और इसी दुनिया के मर्द उसे अपने हवस का शिकार बनायेंगे…..
घर में अपने मां बहन जैसी औरत के दर्द से बेखबर मर्द जब घर से बाहर सड़क पर चलता है तो क्या हर लड़की उसे अपनी बीबी या रखैल नजर आती है….हम बस, गाड़ी मे यात्रा करते हुए भी परूषों के छुअन से बच नहीं पाते हैं…

पिछले महिने हरियाणा मे बलात्कार पर बलात्कार हो रहा था…अखबारों में घटनायें छप रहीं थी …बेटी का बाप शर्म के मारे आत्महत्या कर ले रहा था…..हरियाणा के मुख्यमंत्री लोगों को सुझाव बांट रहे थे कि बलात्कार से बचाने के लिए कम उम्र मे ही वहां के लड़कियों की शादी कर दी जाय…. 

हरियाणा राज्य को चलाने वाले मुख्यमंत्री के पास  एक पुरुष होने के नाते क्या बस यही एक सुझाव बचा था जनता में मुफ्त में बांटने के लिए…लड़की के ब्याह कर किसी एक पुरुष की निजी संपत्ति घोषित कर देने से क्या समाज मे मुंह बाये घूमने  वाले दरिंदे औरत को बाहर निकलने पर मां-बहन के निगाह से देखने का लाइसेंस प्रदान कर देगें…..
औरत के जीवन के सारे फैसले सुनाने वाला पुरुष प्रधान देश ही बताए क्या छोटी उमर में शादी करनें से यह कुकृत्य रुक जाएगा…तो लाखों वेदनाओं को अपने सीने में दबा लेने वाली औरत यह कुर्बानी देने को भी तैयार है... औरत के दिल में मर्दों की प्रताड़ना के सारे कंकड़ पत्थर जमा हैं जो दिनोंदिन बढ़ते  जा रहे हैं…औरत के सीने में ये हिल-डुल रहे हैं जो एक दिन हाहाकार के सुर जरुर छेडेंगे…..

2 टिप्‍पणियां:

हरीश सिंह ने कहा…

अनामिका जी, आपने एक लड़की के दर्द को अच्छे ढंग से व्यक्त किया है, किन्तु एक लेखक की तरह नहीं, अपेन जो भी लिखा है मैं इससे सहमत भी हूँ और नहीं भी, सहमत इसलिए हूँ की आज के दौर कुछ विकृत मानसिकता के लोग ऐसी घिनौनी हरकत को अंजाम देते हैं, जरा सोचिये देल्ही में जनसंख्या करोडो में है, उसमे लड़कियां औरते और पुरुष सभी हैं, यदि पुरुष समाज का प्रत्येक व्यक्ति ऐसी मानसिकता का होता तो महीनो में एक घटना नहीं होती, बल्कि रोजाना सैकड़ो घटनाये इस तरह की होती. कुछ लोंगो के दोष के लिए पुरुष समाज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है,, असहमत इसलिए हूँ की आपने इसे एक लड़की बनकर लिखा है, लेखक बनकर नहीं, आक्रोश में लिखने से आपकी लेखन शैली की मौलिकता प्रभावित होगी

abhay ने कहा…

anamika ji jabtak kisi ek ka raj chalega yahi hoga yaha majilao ko samaj me doyam darja hasil hai ,yaha unhe samanta ka adhikar hasil nhi hai use hasil karne ke liye ladai ladni hogi balatkar ki badhti ghatnaye samaj ki mahilao ke parti doyam najariya ka parinam hai usko bibhinn madhyam se nicha dikhane ka kukirty hai ise badlne ki jarurat hai jabtak ki mahilao ko barabri ka hak prapt nhi ho jata