रविवार, 6 जनवरी 2013

मानसिकता की जय हो......


दिल्ली में एक लड़की के साथ  बलात्कार हुआ…पुरा देश विरोध प्रदर्शन में सड़कों पर निकला…लोगों नें किस्म किस्म के अपनें विचार परोसे…ये होना चाहिए..ये नहीं होना चाहिए…सरकार जिम्मेदार है… बलात्कार की सजा फांसी होनी चाहिए….लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता बदलनी होगी…ब्ला ब्ला ब्ला….
सबनें ये सोचा मानसिकता बदलने को लेकर चिल्लाहट मचाएंगे तो मानसिकता बदल जाएगी…एक ही दिन में पूरे देश की ....महिलाओं के प्रति गंदी मानसिकता सिर्फ हम और आप बदलकर ये नही गा सकते कि हम चले तो हिन्दुस्तान चले…मानसिकता तो उनकी भी बदलनी चाहिए जो आपके घर में मजदूर है..मानसिकता उनकी भी बदलनी चाहिए जो हमारे भाई और बाप हैं..और हमारे घर में बर्तन माजने वाली नौकरानी जिनसे असुरक्षा महसूस करती है….
मानसिकता सिर्फ मध्यमवर्गीय परिवारों का अपनी लड़कियों को शिक्षा दिलाने से नहीं बदलेगी…हमें हर वर्ग और तबके के बारे में सोचना होगा…जिस तरह से हम सरकार से ये मांग कर रहे हैं कि बलात्कार की सजा मौत होनी चाहिए….उसी तरह से हमें अपनें उन भाईयों बहनों और मांओ के लिए भी एक मांग करनी पड़ेगी जो गरीब हैं जिनकी जिंदगी का मालिक कोई और है...जिनका जीवन बिना पढ़े लिखे ही गुजर जाता है........... कि इन लोगों को भी शिक्षित करनें में आगे बढ़ानें मे सरकार कोई कदम उठाए….आज भी हमारे घर में बर्तन मांजने खाना पकाने वाली महिलाओं की बेटियां भी बड़ी होकर वही काम करेंगी…हमारे दिये हुए पुराने फटे कपड़ों से ही अपना तन ढ़कती है….
शहरों गांवों में चलनें वाले बस आटो पर गरीबों के बच्चे कंडक्टरी करते हैं…इस दौरान वे दारु पीना सीखते हैं फूहड़ और भद्दे भोजपुरी गानें सुनकर जवान होते हैं…अपनें मालिकों की अश्लील बातें सुनते हैं…अश्लील काम को देखते है…फिर इनको इतना तजुर्बा हासिल हो जाता है कि…बलात्कार जैसी घटना को अंजाम देना इनके बाएं हाथ का खेल हो जाता है….और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे कैसे उत्तेजित होते हैं ये हर वो मध्यमवर्गीय परिवार जानता है जो सिर्फ मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की का बलात्कार होनें पर मामले को हवा देता हैं…वरना रोज ही दलितों की बेटियां किसी ना किसी मालिक के हवस का शिकार बनती हैं…..पहले के समय में किसी का बेटा पुलिस दरोगा बन जाता तो बेटी का बाप अपनी बेटी के लिए वर के रुप में उसे लालटेन लेकर खोजता था……अब पुलिस दरोगा जिस तरह से बाप की बेटी को देख रहे हैं…पूरा देश जानता हैं
दिल्ली में लड़की के साथ बलात्कार करनें वाले बलात्कारी झोपड़-पट्टियों में रहनें वाले थे…अनपढ़ और देश दुनिया के समाचारों से कोसों दूर रहनें वाले….बलात्कार के दूसरे दिन दिल्ली में ही फिर किसी महिला के साथ ऐसे ही कुछ लोगों ने बलात्कार किया…हम कैसे इनकी मानसिकता बदलेंगे….जो अपनी दुनिया के ख्वाब केवल टीवी देखकर पूरा करते हैं….सुनी-सुनाई खबरों से दुनिया की तस्वीर गढ़ते है और सड़क पर साक्षात लड़की देखकर उसके कपड़े उतारनें की सोचते हैं……देखा होगा आपनें भी जब एक नाबालिक लड़का सड़क पर रिक्शा खींचता है तो कैसे लड़कियों को देखता है….एक लड़का जब होटल में खाना परोसता है तो कैसे बड़े लोगों के बीच उसकी जवानी से पहले ही उसे बड़ा बना दिया जाता है…और कल को यही लड़का एक घटना को अंजाम देता है…

और हम जो अपनें को मध्यमवर्गीय मानते हैं..जिसे ये नहीं दिखाई दिया कि सोनी सोरी के साथ क्या हुआ…हरियाणा में कितनी दलित बेटियां अपनी अस्मत लुटाई…..नौकरानी के साथ होने वाले बलात्कार पर सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि हम समझ सकते हैं…..जाति धर्म का भेदभाव रखते हैं....सच में कभी नहीं ये समझ पाएंगे कि बेटी की इज्जत इज्जत होती है चाहे वो हिन्दू हो मुस्लिम हो दलित हो या कोई और हो...और हर एक बलात्कार के बाद खुद चिल्लाएंगे मानसिकता बदलो....बेटी बचाओ..ब्ला ब्ला...

2 टिप्‍पणियां:

हरीश सिंह ने कहा…

अनामिका जी आपने एक गंभीर मुद्दा उठाया है, सच कहा आपने हम लोग मानसिकता बदलने की बात करते है, किन्तु मानसिकता कैसे बदलेंगे, इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो. इन बातो पर जिम्मेदार लोंगो को गहन चिंतन करना होगा. पर कौन जिम्मेदार लोग है, यही समझ में नहीं आता है.

अनूप शुक्ल ने कहा…

सही लिखा है।

बेटी की इज्जत इज्जत होती है चाहे वो हिन्दू हो मुस्लिम हो दलित हो या कोई और हो...