कितना सुखद औऱ प्यारा है यह
महिना, अक्टूबर का महिना। रात में मीठी
ठण्डक तिस पर बेवजह बारिस की फुहारें। दशहरे
की धूम है, जगह-जगह शहर रंग-बिरंगे
मोती की मालाओं सा सजा है। दिवाली कगार पर खड़ी अपनी बारी का इंतजार कर रही है।
जूही चमेली रातरानी के
साथ-साथ पारिजात का भी खिलने लगा है। सुबह की सैर पर निकलो तो ऐसा महसूस होता है,
मानो किसी ने छत्तीस फूलों की खुशबू को निचोड़ कर वातावरण में घोल दिया हो।
पीली कनेर भी मानो हमें ही
देख कर पेड़ से अपने गिरने की अदा दिखाती
है।जूही चमेली भी हमारे बालों में गजरा बनकर सजने को ताकती हैं।
सब्जी वाला सुबह-सुबह जब
मूली-पालक-गोभी से सजाए ठेले को बगल से सरकाते हुए निकलता है तो अनायास ही पालक के
बीच से झांकते सोए की महक हमें पलट कर देखने पर विवश करती है।
घास पर पड़ी ओस की बूंदे
मानों उनकी सुंदरता बढ़ाने के लिए ही आती हो। कैसा खिलखिलाता रंग चढ़ जाता है घासों
पर।
अंग्रेजी के शब्दों से
नवाजें तो हमें तो बड़ा हॉट लग रहा है ये मौसम। खुशनुमा, लुभावना औऱ बेहद आनन्दमय।
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