रविवार, 3 अगस्त 2014

पीकेः हंगामा है क्यों बरपा !!


आमिर खान अपनी आने वाली फिल्म पीके के पोस्टर में निर्वस्त्र खड़े दिखे  हैं। जब से यह पोस्टर जारी हुआ है तब से सोशल मीडिया पर इसको लेकर बवाल मचा है। कुछ लोगों ने इसकी निंदा की है तो कुछ ने आमिर को सत्यमेव जयते के समाजसेवी की याद दिलाते हुए इसे शर्मनाक बताया। शाहरूख खान से जब एक पत्रकार ने पूछा कि "आमिर ने पीके के पोस्टर में जो अपना हुनर दिखाया है उसके बारे में आप क्या सोचते है?"
इस पर शाहरुख़ बोले, "यार, कम से कम उस बात को हुनर तो मत बोलो."

इससे यह साफ जाहिर होता है कि बालीवुड के कलाकारों को भी इस पोस्टर को लेकर आमिर से शिकायत है।
हो सकता है कि बालीबुड की फिल्मों में पुरूष को निर्वस्त्र  दिखाया गया यह पहला पोस्टर हो जिसे अश्लील करार दिया जा रहा है। लेकिन जहां तक स्त्रियों का सवाल है, फिल्मों में उन्हें निर्वस्त्र दिखाने की प्रथा पुरानी हो गयी है। तो क्या समाज महिलाओं को ही नंगा करने और देखने का आदी हो चुका है?
बालीवुड की अधिकांशतः फिल्मों में महिला कलाकारों से यह कहते हुए अश्लील सीन करवाया जाता है कि यह  कहानी की मांग है। फिर आमिर खान के ऐसे पोस्टर देखकर लोगों को क्यों आपत्ति हो रही है? क्या आमिर खान को नंगा दिखाने के लिए पीके नाम की फिल्म बनाई गयी है यह  आमिर का यह दृश्य कहानी की मांग है।

लोगों को ज्यादा हो-हल्ला मचाने से पहले फिल्म के रिलीज होने का इंतजार करना चाहिए। शर्लिन चोपड़ा, सनी लियोनी, पूनम पांडे की फिल्मों के पोस्टर ऐसे होते हैं कि सड़क से गुजरते हुए इन्हें देखकर इंसान झेंप जाए। लेकिन ऐसी ही फिल्में बन रही हैं और लोगों को रिझाने के लिए, फिल्म के प्रचार के लिए ज्यादातर ऐसे ही पोस्टरों का इस्तेमाल किया जाता है। यह दीगर है कि पुरुष प्रधान समाज एक पुरुष को नंगा करने पर मर्द समझता है लेकिन नंगा दिखने पर नहीं। पीके के पोस्टर को देखकर किसी को शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही, बवाल इस बात पर उठ रहा है कि इसमें एक पुरुष निर्वस्त्र है, आमिर खान निर्वस्त्र है। जबकि कपड़े उतारना तो महिलाओं का काम है। आपत्ति जाहिर करने वाले एक बार गौर से देखें इस पोस्टर को, इसमें कुछ भी अश्लील नहीं है, वरना रेडियो की जगह लंगोट पहनकर गांव के पुरुष खुले में ही नहाते हैं।

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