फर्स्ट फ्लोर पर नोटिस चिपकी- तुम लोग किराया एक से पांच तारीख के
बीच दे दो नहीं तो सारा सामान नीचे उतरवा लूंगी। टंकी में पानी सिर्फ सुबह और शाम
को भरा जाएगा..कोई भी नीचे न आये यह कहने के लिए की मोटर चला दीजिए पानी खत्म हो
गया है।
50 लड़कियों वाले हॉस्टल की मकान मालकिन जैसा बोलती हैं वैसा ही उन्होंने नोटिस
लिखकर फरमान जारी कर दिया। लेकिन नोटिस पर उन्होंने टर्म एण्ड कंडीशन नहीं लिखे।
आज सुबह से ही लाइट गोल थी। दोपहर होते-होते टंकी का पानी खत्म हो गया। हॉस्टल
में त्राहि-त्राहि मच गया। लड़कियां एक-दूसरे से पूछ रही थी कि तुम्हारे पास थोड़ा
पानी हो तो मुझे दे दो। कोई एक गिलास पानी मांग रहा था तो कोई एक मग। जो लड़कियां
थोड़ा-बहुत पानी स्टोर करके रखी थीं वे ऐसे रौब में थीं जैसे भारी इंटरेस्ट पर
कर्ज देने वाला सेठ।
अपन की कंडीशन भी अच्छी नहीं थी। रूम मेट पानी के बिना ऐसे तड़प रही थी जैसे
गौरेया। इसी बीच लाइट आ गई। सारी लड़कियां ऐसे खुश हुईं जैसे गांव में लाइट आने पर
पड़ोस के बच्चे हल्ला करते हुए खुशी का इजहार करते हैं।
लेकिन भाईसाब...फरमान तो फरमान होता है। मकानमालकिन को जब पानी चालू करने के
लिए बोला गया तो मोटे फ्रेम के चश्मे से लड़कियों को घूरा और फर्स्ट फ्लोर पर लगी नोटिस को
दुबारा-तिबारा पढ़ने की सलाह दी। लड़कियां मायूस हो गईं और लाइट आने की खुशी फुस्स
हो गई।
आज अपन की स्थिति ये हो गई थी कि रुममेट ने गंगाजल में दाल पकायी। बगल वाले
कमरे की लड़की बाथरूम से निकली तो उसे हाथ धोने के लिए हमलोगों ने कूलर से एक मग
पानी निकालकर दिया।
रोजाना
हम लोग बुंदेलखंड और लातूर जैसे जगहों पर पानी की कमी से जूझ रहे लोगों
के बारे में अखबारों में पढ़ते थे लेकिन आज पूरे दिन वैसी ही स्थिति से दो-चार
होना पड़ा तब उनका मर्म समझ में आया।
खैर... मालकिन मैडम ने पानी चालू कर दिया है। सभी बाथरूम के सभी नल खुले हुए
हैं। मोटर चालू होते ही सभी नलों से इस तरह एक साथ पानी गिरने लगा मानों इसी से
खेत की सिंचाई होने वाली हो। शुक्र है ऊपर वाले के साथ ही नीचे वाली मालकिन का भी।
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