
वह कमरे के अंदर खिड़की और दरवाजे बंद करके हवन कर देती( पूरी और चिप्स तलकर खाने की शौकीन थी) और मुझे बाहर निकलना पड़ता...समझदार इतनी ज्यादा थी कि किसी चीज की उम्मीद नहीं रखी जा सकती थी। फिर एक दिन अचानक बिना बताए जाने कहां चली गई...शायद घर..कुछ लोगों को ऐसा ही बतायी थी।
उसका जाना जाने क्यों अच्छा लगा। लेकिन18 दिन बाद जब लौटकर आयी तो वो, वो नहीं थी। अब वो वो थी जो शायद पहले रही होगी। बड़ा सा ट्रॉली बैग कमरे में लेकर आते ही मैंने उसे 'हाय' बोला...उसने थोड़ी ज्यादा मेहनत करके मुझसे पूछा 'कैसी हो'। इसके बाद बातचीत शुरू हो गई। मैडम ने जिस खुशी में उस दिन से मुझसे बात करनी शुरू की थी उसे शायद 'सपनों का राजकुमार' मिलना कहते हैं। शादी लग गई थी उसकी और 'अपने उनके' साथ कहीं घूमकर लौटी थी। फ्रेश होने के बाद उनकी फोटो दिखायी और बोली देखो कैसा है मेरा हीरो..उसका हीरो, हीरो टाइप ही था। लेकिन बात न करने की जो वजह थी..वो नहीं पता चल पायी और वो बात भी खत्म हो गई।
इसके बात मैंने सिर्फ उसको ही नहीं झेला...उसके 'उनको' भी झेला...'इनकी' और 'उनकी' बातों को भी झेला..दोनों के झगड़े को भी झेला और प्यार को भी। इतना ही नहीं कमरे में शादीशुदा लड़कियों ने उसको जो सुहागरात, ननद को खुश करने की टिप्स, सास को हैंडल करने की टिप्स, पति से चटर पटर खाने की फरमाइश करने की टिप्स, थोक मार्केट से बिंदी, चूड़ी,टेडीवियर और जाने क्या क्या खरीदने की टिप्स, आटे में बेसन भरकर पूरी बनाने की टिप्स और सुबह उठकर मां दुर्गा टाइप श्रृंगार करने की टिप्स जैसी जाने कितनी नसीहतें झेलीं। शादी लगने के बाद वह दस महीनों तक वह बस ऐसा वैसा करने की टिप्स बटोरती रही और शादी का दिन नजदीक आ गया।
आज बेड खाली है उसका..आलमारी खाली है..रैक खाली है...कुर्सी और टेबल खाली है। कमरे में खालीपन है, सूनापन है...बार बार नजरें कोने में उसकी बेड की तरफ जा रही हैं। बेड तो है..वो नहीं है।
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