एक औरत अपने तीन बच्चों के
साथ कानपुर स्टेशन से ट्रेन में चढ़ी। वह निहायत ही सुंदर पीली साड़ी पहने हुए थी,
जो उस पर कम ही अच्छी लग रही थी। उसके तीनों बच्चे फुदकते हुए आए औऱ मेरे बगल में
बैठ गए। तीनों एक ही रंग और साइज के लेदर के जैकेट पहने थे।
मैने देखा है, लोग अपने
बच्चों को एक जैसे कपड़े या तो खोने के डर से पहनाते है या बच्चे जुड़वा हों तब
पहनाते है। लेकिन मैने उनमे से दो बच्चों की उम्र बराबर देखकर अंदाजा लगाया कि ये
दोनो जरुर जुड़वा होंगे। मगर वे जुड़वा नहीं थे।
थोड़ी ही देर में वे तीनों
बंदरों की तरह धमाल मचाने लगे। एक उपर की बर्थ पर चढ़कर धड़ाम से नीचे कूद रहा था,
दूसरा ट्रेन की खिड़की में एक धागा बांधकर उसमें अपना हाथ बांधे रखा था, और तीसरा
चाय बेचने वाले का प्लास्टिक की गिलास निकालकर हवा में उड़ा देता था।
उन तीनों की उम्र पांच-छः
साल के आसपास थी और वे अपनी मां के साथ मुगलसराय चाचा की शादी में जा रहे थे।
सबसे छोटा बच्चा जो पांच
साल का दिखता था उसके आगे के दो दांत टूट गए थे। जिस दिन दांत टूटा उस रात वह सो
नहीं पाया था, अभी वह जीव विज्ञान का छात्र भी नहीं था कि उसे पता चले कि नए दांत
आने में कितने दिन लगते हैं। उसे बस इतना पता था कि दांत टूटने के कारण वह सुंदर
नहीं दिख रहा है औऱ चाचा की शादी में जा रहा है। वह उसके जीवन की पहली चिंता थी।
इस चिंता से निजात पाने के लिए उसने अपने एक दोस्त के बताने पर अपने टूटे दांत
गड्ढे में ढ़क दिए थे ताकि नए दांत जल्दी उग आए। उसने ऐसा मुझे बताया।
तीनों बच्चों की आवाज औऱ
शक्ल लगभग एक जैसे थी। लेकिन उनमें से एक लड़की थी जो अपने दोनो भाईयों के जैसे ही
कपड़े पहनी थी और हाथ में नेल पालिश लगाए थी। वे तीनों अंग्रेजी माध्यम से पढ़ते
थे औऱ “तू लगावेली जब लिपिस्टिक हिलेला सारा डिस्टिक” गाने पर अपने चाचा की शादी
में नाचने की सोच रहे थे। उन्हें हनी सिंह भी पसंद था लेकिन उसके गाने पर वे तीनों
नाचने में असमर्थ थे।
उनकी मम्मी उनसे तंग आ गयी
थीं और चाहती थीं कि उनको उठाकर कोई ले जाए। मम्मी की कहानियां तीनों को नहीं पसंद
आती थी और वे चाहते थे कि गांव से दादी आकर कानपुर ही रहें। उन तीनों ने मिलकर
प्लास्टिक की एक कार खरीदी थी जो उनकी नई चाची के लिए गिफ्ट था।
इतने शैतान बच्चे औऱ उनकी
नौटंकी बातें कि कानपुर से इलाहाबाद का सफर पता ही नहीं चल पाया। हमें तो रोज तलाश
रहती है ऐसे बच्चों की।
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