अखबारों में पढ़ा था..लोगों से सुना था कि बालू की चोरियां भी होती हैं। आधी रात को या भोर के वक्त ट्रैक्टर भर-भर कर बालू नदियाें से गायब हो जाता है। लेकिन ऐसी चोरियां मैनें कभी नहीं देखी थी। नदी किनारे बैठे हुए एक दिन नदी में धीमी प्रवाह में आते हुए एक नाव पर नजर पड़ी। दूर से ही इतना पता चल पा रहा था कि नाव भरी है.. लेकिन यात्रियों से नहीं..बल्कि किसी और चीज से..।
नाव बहते हुए पास आ गई..बीच नदी..आंखों के बिल्कुल सामने। चित्र में देखा जा सकता है बालू के वजन के साथ नाव में कितने लोग बैठे हैं..जो नदी से बालू चोरी करके ला रहे हैं..। इतने वजन के बाद भी नाव कैसे चल रही है..ये तो मुझे समझ में नहीं आया...लेकिन हां..मैने बालू की चोरी देख ली..वो भी ट्रैक्टर की ट्राली में भरी नहीं..बल्कि नाव में भरी।
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