रविवार, 19 नवंबर 2017

श को स नहीं लेकिन कॉमेडी को कामेडी कहने वाले लोग नहीं पसंद उसे!



क्या आप बता सकते हैं कि आपका दिमाग किन बातों से सबसे ज्यादा खराब होता है? कोई आपको गाली दे, आपका मजाक उड़ाएं, इससे.. या घर में कोई आपको आवारा, निकम्मा बोलकर आपकी इज्जत उतारे उस बात से?
 
वैसे मुझे नहीं लगता कि दिमाग खराब होने की किसी के पास कोई एक वजह होती है। दिमाग ही तो है जाने कब और किस बात पर खराब हो जाए...खुद को भी पता नहीं रहता।

अब उस लड़की को ही ले लीजिए...कल उसके पति का दोस्त उसके घर डिनर पर आया। बात-बात में वो कहने लगा कि उसके एक सीनियर आजकल लांगवेज सीख रहे हैं। वो अपने पति की थाली में आलू-टमाटर की रसेदार सब्जी में से आलू निकालकर डाल रही थी। 

लांगवेज?...ये क्या बोल रहे हैं आप...इतने पढ़े-लिखे हैं फिर भी लैंग्वेज को लांगवेज क्यों बोल रहे हैं? यहां तो बोल दिया आपने लेकिन आगे से किसी के सामने ऐसे गलत-सलत मत बोला कीजिए। अभी तो आपकी शादी भी नहीं हुई है...ऐसे बोलेंगे तो कोई लड़की पसंद नहीं करेगी।

अरे...इसमें गलत क्या है भाई?...हम लोग ऐसे ही बोलते हैं...

हम लोग....आप और कौन?... देखिए वैसे तो शब्दों के गलत उच्चारण से पर्सनली तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। लेकिन होती है...इनफैक्ट बहुत ज्यादा होती है...दिमाग भन्ना जाता है मेरा। 

अंश के टीचर रोज शाम को उसे ट्यूशन पढ़ाने आते हैं...वो अंस..अंस चिल्लाए बिना घर के अंदर नहीं घुसते हैं...बताओ आप ही...नाम तो मेरे बेटे का अंश है लेकिन वो उसे अंस..अंस कहते हैं...मुझे सुनने में कंस..कंस सा लगता है...पहले दिन ही मुझे हंसी आ गई थी इसलिए श को स कहने का गुस्सा उसी वक्त उड़ गया था जो अब तक नहीं आया। लेकिन जब वो मेरे बेटे को कहते हैं कि क्या कामेडी कर रहे हो यार...पढ़ते क्यों नहीं.. तो मन करता है कि किचन से बेलन उठा कर ले जाऊं और उनका सर फोड़ दूं...अरे बच्चों से ऐसे टपोरी भाषा में बात करना है तो अच्छा है कि पढ़ाने ही न आएं। पढ़े-लिखे टीचर हैं वो और मुंह फाड़कर कामेडी बोलते हैं...अरे कॉमेडी भी तो बोल सकते हैं। वह गुस्सा नहीं करना चाहती..लेकिन जाने क्यों उसे गलत उच्चारण सुनकर उल्टी आने लगती है..ऐसा वह कहती है।

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