सोमवार, 25 जनवरी 2016

26 जनवरीः लड्डू खाने का दिन!



हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त पर स्कूल के दिनों की याद आती है। गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले स्कूल में हॉफ डे कर दिया जाता था। छुट्टी के बाद हम लोग दौड़ते हुए घर पहुंचते थे और अपना यूनिफॉर्म निकालकर साफ करते थे ताकि अगले दिन साफ-सुथरा ड्रेस पहनकर 26 जनवरी मनाने स्कलू जाएं।

गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले जब हम अपना यूनीफॉर्म साफ करते तो अगले दिन तक वह सूख नहीं पाता था। जाड़े की कम धूप या कुहरा के चलते ऐसा होता था। हम रात में सोने से पहले यूनीफार्म को उटल-पलट कर देखते की कितना सूखना बाकी है। स्कूल जाकर गणतंत्र दिवस मनाने की इतनी खुशी होती मन में की हम 26 जनवरी की भोर में चार बजे ही उठ जाते। यूनीफॉर्म तब भी नहीं सूखा होता था। उन दिनों मां हमारे बाकी कपड़े जरूर धो देती लेकिन अपना यूनीफॉर्म हम खुद ही धोया करते थे। 26 जनवरी की सुबह स्कूल जाने की तैयारी लेकिन तब तक यूनीफॉर्म सूखा ही नहीं रहता। हम हल्के गीले यूनीफार्म पर ही आयरन चलाते..बार-बार चलाते और इस तरह उसे पहनने लायक बनाते।

बाकी स्कूलों को तो नहीं पता लेकिन यूपी बोर्ड के स्कूलों में गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए फूल-मालाएं भी बच्चों से ही मंगाए जाते थे। हमें पता होता था कि हमें फूल लेकर ही स्कूल जाना पड़ेगा। 25 जनवरी की शाम ही हम पड़ोस के घरों से गेंदे का फूल तोड़कर रख लेते थे। कभी-कभी जब फूल ज्यादा इकट्ठे हो जाते तो हम अपने नन्हीं उंगलियों में जाने कितनी बार सूइयां चुभोकर मालाएं गूथा करते थे।

उन दिनों स्कूल के बच्चों में इस बात का ज्यादा क्रेज रहता था कि 26 जनवरी पर किसके स्कूल में क्या मिलता है। लड्डू तो सभी के स्कूल में बांटे जाते थे लेकिन इसके अलावा भी किसी स्कूल में जलेबी तो कहीं आलू दम बच्चों को दोने में दिए जाते थे। आलू दम में मिर्च इतना ज्यादा होता था कि बच्चे इसे खाने में अपनी आंख और नाक के पानी बहा डालते और फिर जमकर पानी पीते।

जब इंटरमीडिएट में गई तो घर से 16 किमी दूर साइकल चलाकर स्कूल जाना पड़ता था। जीआईसी में इंटरमीडिएट की कक्षाएं ग्यारह बजे से चला करती थीं। लेकिन कई विषयों की कोचिंग पढ़ने हम घर से सुबह छह बजे ही निकला करते थे फिर स्कूल की क्लास करने के बाद शाम पांच बजे घर लौटा करते थे। उन दिनों गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस किसी छुट्टी से कम नहीं लगता। 16 किमी साइकल चलाकर सिर्फ गणतंत्र दिवस मनाने जाने स्कूल जाने में हमें बहुत आलस आता था। हमारे दोस्त कहा करते कि अब हम बड़े हो गए हैं सिर्फ लड्डू लेने स्कूल नहीं आएंगे। सबसे ज्यादा शर्म लड़कियों को आया करती थी..26 जनवरी पर स्कूल में लड़के उन्हें कहा करते देखो सिर्फ लड्डू लेने के लिए स्कूल आ गई। और जवाब में लड़कियां उन्हें कहा करतीं अच्छा...तुम लोग क्या झंडे के नीचे शहीद होने स्कूल आए हो। इंटरमीडिएट की कक्षाओं में छात्र-छात्राओं को 26 जनवरी पर फूल-मालाएं लेकर स्कूल नहीं जाना पड़ता था।

कोई टिप्पणी नहीं: