चांद और मेरे बीच क्या रिश्ता है यह मुझे नहीं मालूम। लेकिन हां..चांद अब रिश्ते
में मेरा मामा नहीं लगता। अगर कोई चांद से हमारे रिश्ते के बारे में पूछे तो शायद
चांद का जवाब यह हो कि मैं उसकी फैन हूं। सबसे बड़ी वाली फैन।
आसमान में जब भी गोल-मटोल चमकीला चांद देखती हूं तो मेरा मन तितली की तरह हो
जाता है। पैर जमीन पर नहीं पड़ते लेकिन मैं किसी फूल पर नहीं बैठती। चांद देखकर
इतनी खुशी होती है कि मैं इसे अपने मन में नहीं समाना चाहती। अपना फोन उठाकर फटाफट
नंबर ढूंढने लगती हूं जिससे कह सकूं देखो न आसमान में कितना प्यारा चांद निकला है।
कभी-कभी यह बताते वक्त मुझे वैसे ही खुशी होती है जैसे मैं किसी से यह बता रही हूं
कि सुनो न! मेरे भाई को बेटी
हुई है..मैं बुआ बन गई। लेकिन खुशी तो खुशी होती है न! चाहे वह खूबसूरत चांद
देखने की ही क्यों न हो।
चांद आसमान में था और मैंने एक दोस्त को फोन किया। फोन उठाते ही उसने कहा कि
कितनी तेज ठंड पड़ रही है यार। मैंने कहा-लेकिन इसी ठंड में तुम्हे एक कष्ट करना
होगा। उसके बाद मैं खूब जोर-जोर से बोलने लगी... छत पर जाकर देखो न कितना प्यारा
चांद निकला है..बहुत सुंदर लग रहा है देखने में। यह कहते हुए मुझे ऐसा लग रहा था
जैसे मैं उससे कह रही हूं छत पर जाकर देखो न किसी की बारात जा रही है..और दुल्हे
को देखना कितना सुंदर दुल्हा है।
थोड़ी देर बाद चांद देखकर दोस्त ने कहा कि रोज कि तरह ही तो निकला है..मैंने सोचा
कि चांद मेकअप करके निकला है क्या जो तुम्हे इतना सुंदर दिखने लगा। बात का मजाक
बनाकर उसने फोन रख दिया।
मैंने दूसरे दोस्त को फोन किया और बोली-आसमान में देखो न चांद कितना सुंदर दिख
रहा है। वह बोला-कोई कविता लिख रही थी कि क्या? तुम तो शायरों की तरह बातें कर रही हो।
मैंने कहा- सच में सुंदर है देखो तो जाकर।
वह बोला- चांद तो मैं देख लूंगा लेकिन तुम्हारी नजर कहां से लाऊंगा?
इस तरह वह भी चांद नहीं देखा। और मैं दुखी होकर यह लेख लिखने बैठ गई।
जिस वक्त मैं यह लेख लिख रही हूं, मेरे कमरे का दरवाजा खुला हुआ है और चांद
मेरे कमरे में झांक रहा है...दरवाजे के ठीक सामने। मानो कह रहा हो मैं तुम्हारे
आंखों के सामने हूं..मुझे देखो और लिख डालो। इस वक्त मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कोई
मेरे सामने बैठा हो और यह कह रहा हो मुझे देखकर बना दो मेरी खूबसूरत सी पेंटिंग।
चांद कॉलेज के दिनों से ही मेरा पीछा कर रहा है। जब मैं हॉस्टल में रहती थी उस
वक्त मेरे कमरे की खिड़की से चांद दिखता था। मेरी रूममेट रात में अपने ब्वॉयफ्रेंड
से फोन पर बातें करती और मैं खिड़की से चांद देखा करती। उस वक्त लैपटॉप पर आबिदा
परवीन की गजल ‘आंगन वाले नीम में
आकर अटका होगा चांद, हम तो हैं परदेस में देश में निकला होगा चांद’... ही बज रहा होता। उसके
बाद जितने भी किराए के घरों में रही कमरे से ही चांद आसानी से दिख जाता। चांद तो
दिख जाता लेकिन अब तक वह न मिला जिससे कहा जा सके..देखो न आसमान में चांद कितना
प्यारा दिख रहा है।
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