सुबह छह बजे उठती है। एक गिलास पानी गर्म करती है फिर उसमें नींबू निचोड़कर
गटक जाती है। जूते का लेस बांधने नहीं आता फिर भी जूता चढ़ा लेती है पैरों में और
चार किमी का रास्ता नापने निकल जाती है। जब वापस आती है तो टी-शर्ट पसीने से भीगा
होता है और वो खुद भी। कान में इयरफोन लगाकर आधे घंटे तक राग भैरवी और राग जौनपुरी
सुनती है। इसके बाद चिंतन में लीन हो जाती है। वहां से उठती है तो फिर नहाती-धोती
है लेकिन पूजा-पाठ बिल्कुल नहीं करती। चना गुड़ खाती है या फिर सत्तू घोलकर पीती
है। चाय के नाम पर बुखार आ जाता है उसे। इसके बाद अपने काम में लग जाती है। किसी
से ज्यादा मतलब नहीं रखती ना ही ज्यादा बोलती है।
दोपहर में दो रोटी, एक कटोरी बिना तड़के वाली दाल, एक कटोरी मिक्स्ड सलाद खाती
है। दो रोटी मतलब दो रोटी...ना कम ना बेसी। सब्जी कम तेल और मसाले वाली। दाल में
घी से भी कोई दुश्मनी है। सादा मतलब एकदम सादा खाना जो अस्पलात में भर्ती मरीज
खाता है..वही वाला।
खाने के बाद एक घंटे तक चादर तानके सोएगी। जब उठती है तो एक एक लीटर पानी सोख
जाती है। फिर अपने काम में लग जाती है। शाम को छत पर टहलेगी और अपने पसंद के कुछ
गाने भी सुन लेती है। बाजार के सारे कामों की लिस्ट बनाकर रखती है और रोज की बजाय
सिर्फ रविवार को इन कामों को निपटाने के लिए बाजार जाती है। हफ्ते भर के गंदे कपड़े
किसी एक दिन रात में धोती है।
रात को अपना सारा काम खत्म करने के बाद मिक्स्ड सब्जी वाली दलिया खाती है।
कम्प्यूटर, लैपटॉप से रात में दूर ही रहती है। इसके बाद कान में फिर से इयरफोन
ठूंसती है और राग मल्हार सुनते-सुनते सो जाती है।
अगले सुबह की फिर वही राम कहानी। बताओ भला पच्चीस साल की कोई लड़की भला ऐसा
करती है..ऐसे रहती है..ऐसे जीती है..ऐसे खुश रहती है? ऐसे जीने खाने में तो पचास
साल वाले भी बोर हो जाएं। भगवान भला करें इस लड़की का!
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