उस दिन जब घर में बतायी कि मुझे विपश्यना करने
जाना है तो घरवालों को समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोल रही हूं। कहां और क्या
करने जाने की बात कर रही हूं। मैंने उन्हें समझाया कि सारनाथ में विपश्यना
मेडिटेशन केंद्र है। वहां भगवान बुद्ध की साधना सीखायी जाती है। थोड़ी कठिन जरूर
है लेकिन जीवन में बहुत लाभ होता है इसका।
घर में इससे पहले कभी किसी ने मेडिटेशन नहीं
किया था सो वे जानते भी नहीं थे कि मेडिटेशन क्या होता है। वे मेडिटेशन का सिर्फ
हिन्दी अर्थ ही जानते थे।
एक दिन बाद किसी से थोड़ी जानकारी इकट्ठा करने
के बाद मम्मी गुस्से में आकर मुझसे बोलीं कि तुम्हें ऐसा क्या हुआ है कि मेडिटेशन
करने की जरूरत पड़ आयी। कहीं बौद्ध धर्म स्वीकर करने की तो नहीं सोच रही हो। अभी तुम्हारी
शादी भी नहीं हुई है कहीं सन्यासिनी बनकर सारनाथ किसी आश्रम में रहने की तो नहीं
सोच रही हो।
मम्मी कि इन बातों को सुनकर मैं अपना सिर पीटने
लगी। जब उन्हें मेडिटेशन के बारे में कुछ नहीं पता था तब उन्हें समझाने की गुंजाइश
बची थी लेकिन अब तो ना जाने किसने उन्हें भड़का दिया था कि उसे कोई रोग तो नहीं है
कि मेडिटेशन करने जाना चाहती है। कहीं बौद्ध धर्म स्वीकार करके वहीं न रह जाए, घर
लौटे ही न।
मैंने हिम्मत नहीं हारी और बहुत शांत होकर
घरवालों को समझाने की कोशिश की। वहां सिर्फ मेडिटेशन सीखाया जाता है और मेडिटेशन
करने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है। लोग
खुद पर नियंत्रण के लिए, शांति के लिए और दुनिया भर की चिंताओं से छुटकारा के लिए
मेडिटेशन करते हैं। यह सिर्फ दस दिनों का कोर्स है। उसके बाद लगातार अभ्यास से ही
जीवन में इसका फायदा दिखता है।
दस दिन....मम्मी बोलीं-मतलब तुम दस दिन के लिए
ऐसी जगह पर जाओगी जिसके बारे में हमलोग जानते ही नहीं। अकेली लड़की को किसी अनजान
जगह पर कोई कैसे छोड़ देगा। किसने तुम्हें भड़का दिया कि इसी उम्र में तुम्हें
मेडिटेशन करना चाहिए। मैंने मम्मी को फिर समझाया कि मेडिटेशन करने की कोई उम्र
नहीं होती। यह अपने लिए किया जाता है। आप भी मेरे साथ चलिए इससे आप भी दस दिनों तक
साथ रह लेंगी और सीख भी लेंगी। मम्मी नाराज होते हुए बोली कि मैं स्वस्थ हूं और
मैं कहीं नहीं जाऊंगी।
इसके बाद मैंने उन्हें हिम्मत करके बताया कि
विपश्यना जाने के बाद मेरा फोन भी जमा हो जाएगा। दस दिनों तक मैं किसी से बात नहीं
कर पाऊंगी। यह सुनकर घरवालों की चिंता जायज थी। मैंने केंद्र पर फोन करके घरवालों
से बात करायी। उन लोगों ने बताया कि यहां हर किसी से सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है।
खाना-पीना सब कुछ निःशुल्क है। केंद्र के नंबर पर फोन करके कैंडिडेट का नाम बताकर
उसका हाल चाल जाना जा सकता है। उन लोगों की बातों से घर वालों को थोड़ी तसल्ली मिली
और मेरा विपश्यना के लिए जाने का रास्ता साफ हो गया।
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