गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

आखिर कब लिखेगी राजनीति पर वह?



पांचवी क्लास के किसी ऐसे बच्चे के बारे में सुना है आपने जिसे ए, बी, सी, डी लिखना आता हो लेकिन क, ख, ग, घ लिखने नहीं आता हे। एक से सौ तक गिनती लिख लेता हो लेकिन पढ़ नहीं पाता हो। दरअसल हम पांचवीं क्लास के बच्चे के बारे में इतनी छोटी बात नहीं सोच सकते यह समस्या तो यूकेजी या कक्षा एक के बच्चे को हो सकती है। पांचवीं क्लास के बच्चे की तो कोई और समस्या होगी। या तो वह पढ़ने में अच्छा होगा या पढ़ने में बुरा। किसी विषय में फेल हो जाता होगा तो किसी में पास। 

लेकिन इस लड़की की समस्या ऐसी है जो कक्षा पांच के भी बच्चे को होती है और यूकेजी के बच्चे को भी। पत्रकारिता में एमए करने के बाद भी उसे हर मुद्दे पर लिखना नहीं आता। कहानी लिख लेती है तो कविता उससे एकदम नहीं बन पाती। कविता उसकी कलम से जितनी ही दूर है वह कविता पढ़ने की उतनी है शौकीन है। फीचर लिख लेती है, लेकिन राजनीति पर नहीं लिख पाती। राजनीति पर न लिख पाना उसे किसी अभिशाप सा लगता है। हत्या, डकैती, छिनैती, दुर्घटना, मौत सब पर लिख लेती है, खबर बना लेती है लेकिन राजनीति पर नहीं लिख पाती। मुद्दे पता होते हैं लेकिन शुरूआत नहीं पता होती। दूसरों का लिखा जब संपादकीय पृष्ठ पर पढ़ती है तो उसे यह बेहद आसान लगता है। जैसे अभी शुरू करेगी तो इनसे बेहतर लिख लेगी। लेकिन शुरू नहीं कर पाती। कलम रूक जाती है। कुछ है जो दिमाग में रूक जाता है। कुछ है जो कलम चलने नहीं देता। राजनीति पर न लिख पाना उसे सोने नहीं देता, वह नींद में भी अपनी इस कमजोरी पर डर जाती है और किसी बुरे स्वप्न सा उसकी नींद खुल जाती है। आखिर कब लिखेगी राजनीति पर वह?

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