सुनो, जब तुम सिगरेट पीते हो न तो धुएं को नाक
से मत निकाला करो। एकदम मजदूर लगते हो तुम।
-अरे, मैं मजदूर लगता हूं तुमको? मतलब क्या है तुम्हारा?
मेरे घर काम करने जब मजदूर आते हैं तो वे बीड़ी
पीकर धुआं नाक से ही निकालते हैं। मैंने बचपन से सारे मजदूरों को नाक से धुआं
निकालते देखा है। इसलिए तुम्हें मना कर रही हूं।
-तुम्हें तो एक दिन सिगरेट मैं ही पीना
सीखाउंगा।
क्यों, यह बुरी चीज है इसलिए?
-नहीं, मुझे सिर्फ यही एक चीज पता है इसलिए। मैं
इस बात में बेहद यकीन रखता हूं कि कोई इंसान जब किसी से कोई चीज सीखता है तो वह
उसे ताउम्र याद रखता है।
ये लाइफ टाइम गिफ्ट होगा मेरा तुम्हारे लिए।
3 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "निजहित, परहित और हम “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ये लाइफ टाइम गिफ्ट...गज़ब
thank u Sir
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